दरूद शरीफ हिंदी में | Durood Sharif in Hindi

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Darood sharif in hindi | durood sharif in hindi | दरूद शरीफ हिंदी में

अस्सलामु अलैकुम नाज़रीन आज हम दरूद-ए-इब्राहिम पढ़ने का तरीक़ा सीखेंगे।

durood sharif in hindi

दरूद शरीफ हिंदी में (दरूद-ए-इब्राहिम)

अल्लाहुम्मा सल्लि अला मुहम्मदिन व अला आलि मुहम्मदिन कमा सल्लैता अला इब्राहीम व अला आलि इब्राहीमा इन्नक हमीदुम मजीद, अल्लाहुम्म बारिक अला मुहम्मदिन व अला आलि मुहम्मदिन कमा बारक्ता अला इब्राहीमा व अला आलि इब्राहीमा  इन्नक हमीदुम मजीद।

दरूद शरीफ का तर्जुमा 

ए अल्लाह बरकत उतार हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वस्सल्लम पर और हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वस्सल्लम के घर वालों पर जैसे बरकतें की तूने हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम पर और हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम के घर वालों पर बेशक तुहि तारीफ़ के लायक बड़ी बुजुर्गी वाला है। 

दरूद शरीफ पढ़ने के फायदे 

वैसे तो दरूद शरीफ पढ़ने के बहुत सारे फायदे है जिनको सारा बताना बहुत मुश्किल है, लेकिन हमने कुछ नीचे बनाई बताई है।

अल्लाह पाक कुरान की सूरह अल-एह्ज़ाब में मुसलमानों को मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर दुरूद भेजने का हुकुम देते हैं ।

बेशक अल्लाह और उसके फ़रिश्ते दरूद भेजते हैं नबी पर। ए ईमान वालो! तुम भी उन पर दरूद भेजो और सलाम भेजो
--अल-क़ुरआन सूरत अल्लाहज़ अब:५
  • जो मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और उनके परिवार पर एक दुरूद भेजता है, अल्लाह उसके ऊपर 10 दरूद भेजते है, उसके 10 गुनाह माफ़ कर देता है, और 10 नेकी उसके उसके में लिख देता है|
  • दुरूद शरीफ पढ़ने से बुरा वक्त ख़तम हो जाता है|
  • दुरूद पढ़ने से भूले हुए काम और बाते याद आ जाती है|
  • दुरूद पढ़ने वाले का क़र्ज़ जल्दी अदा हो जाता है|
  • दुरूद पढ़ने वाला मुहम्मद सल्ल्लाहु अलैहि वसल्लम के पसन्दीदा बन जाते हैं|
  • दुरूद पढ़ने वाले का दिल रेहमत और रौशनी से भर जाता है।
  • सलवात भेजना जहन्नम की आग से बचाता है |
  • सलवात को लगातार पढ़ने से सभी जायज़ दुआ पूरी हो जाती है |
  • सलवात को ज़ोर से पढ़ने वाले शख्श में से घमण्ड ख़त्म हो जाता है |
  • दुरूद भेजना कब्र में और कयामत के दिन  रौशनी का काम करेगा |
  • सलवात भेजने वाले के दिल में अल्लाह और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के लिए मोहब्बत पैदा  हो जाती  है |
  • दुरूद शरीफ़ गुनाहों का कफ्फारा है।
  • दुरूद शरीफ़ से अमल पाक होता है।
  • दुरूद शरीफ़ से आँखों को नूर मिलता है।
  • दुरूद शरीफ़ पढ़ने से जन्नत के दर्जात बुलंद होते है।
  • यह अमल बन्दे को जन्नत के रस्ते पर डाल देता है।
  • दुरूद शरीफ पढ़ने की वजह से बंदा आसमान और ज़मीन में काबिले तारीफ हो जाता है।
  • दुरूद शरीफ पढ़ने वाले से आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम मुहब्बत फ़रमाते हैं, जो शख्श दुरूद शरीफ़ को ही अपना वजीफ़ा बना लेता है अलाह पाक उसके दुनिया और आखिरत के सारे काम अपने ज़िम्मे ले लेते है।

दरूद शरीफ को कब पढ़ा जाता है

वैसे तो दुरूद शरीफ जितना पढ़े उतना अच्छा है लेकिन दुरूद शरीफ़ पढ़ने के लिए कुछ खास वक्त बेहतरीन माने जाते है-:

  • पाँँचों नमाज़ों के बाद
  • अजान के बाद
  • मस्जिद में दाखिल होते वक्त और बाहर जाते वक्त
  • वजू करते वक्त और वजू होने के बाद
  • मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का नाम लिखने और कहने पर सलवात पढना सबसे अच्छा माना जाता हैं
  • दुआ माँगते वक्त
  • मुसीबत के वक्त
  • घर में दाखिल होते वक्त
  • सुबह और शाम के वक्त
  • जिब्ह (पशु-पक्षियों को हलाल करना) के समय
  • छीक आते वक्त
  • सौदा या मोल-भाव करते समय

खास दिन

हज़रत ओस की रिवायत है : मैं ने अल्लाह के रसूल मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को यह कहते सुना : “सब दिनो में जुमा का दिन बहतर है, इसी दिन आदम अलै॰ पैदा किये गये, इसी दिन उनकी रूह निकाली गई, इसी दिन सुर फ़ूका जाएगा, इसी दिन कब्रों से उठने का हुक्म होगा, इस दिन मुझ पर मेहनत से दुरूद शरीफ भेजा करो”|

नॉट :- नाज़रीन ये था दरूद-ए-इब्राहिम पढ़ने का सही तरीक़ा और कुछ ज़रूरी बातें जो क़ुरआन और हदीस से साबित होती हैं। अगर आप का दीन और दुनिया से जुड़ा कोई सवाल है, या फिर आप हमें कुछ नसीहत करना चाहते हैं। हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएं।

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जज़ाक़ अल्लाह।

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