ग़ुस्ल करने का सुन्नत तरीक़ा | Gusal Karne ka Sunnat Tarika

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अस्सलामु अलैकुम नाज़रीन आज हम ग़ुस्ल का सुन्नत तरीक़ा तरीक़ा पढ़ेंगे।

gusal karne ka treeka

ग़ुस्ल का सुन्नत तरीक़ा

(यानी जिसे अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने खुद अपनाया और करने का हुक़ुम दिया।)

  1. सब से पहले दोनों हाथ गट्टो तक धोएँ, फिर इस्तंजा करें। 
  2. और जो नापाकी बदन में लगी है उसे अच्छे से धो कर दूर करें, उसके बाद वज़ू करें। 
  3. फिर थोड़ा पानी डालकर पुरे बदन को हाथ से मलें, इस के बाद सारे जिस्म में तीन मर्तबा इस तरह पानी डालें की कोई जगह बाकी (सूखी) ना रह जाये। 
  4. अगर एक बाल के बराबर भी जगह बाक़ी (सूखी) रह जाये तो ग़ुस्ल नहीं होगा।

ग़ुस्ल के फ़र्ज़

तीन हैं – यानी वो अमल जिसके बिना ग़ुस्ल नहीं होता।

  1. ग़ुस्ल में वज़ू के वक़्त इस तरह से कुल्ली करना की पानी पूरी तरह से सारे मुँह में पहुँच जाये।
  2. नाक में पानी डालना जहाँ तक नरम हो। 
  3. पुरे बदन में पानी बहाना ताकि कोई जगह सुखी ना रह जाये।

ग़ुस्ल की सुन्नतें  

बारहा हैं – यानि वो काम जिनके बिना गुसल तो हो जाता है लेकिन सवाब नहीं मिलता

  1. शुरू में बिस्मिल्लाह पढ़ना।
  2. नियत करना।
  3. दोनों हाथ पोहचो तक धोना।  
  4. बदन से ( नजासत ) गन्दगी दूर करना।
  5. पेशबगाह को अच्छे से धोना।
  6. इस के बाद वज़ू करना।  
  7. सारे बदन में तीन बार पानी बहाना।
  8. पानी डालने में सर से इब्तदा ( शुरुआत ) करना।  
  9. सर के बाद दाएं कंधे पर पानी डालना।  
  10. और फिर बाएँ कंधे पर पानी डालना।  
  11. बदन को मलना।  
  12. एक के बाद एक हिस्से को धोना।

गुस्ल कब फ़र्ज़ होता है 

  • वैसे तो आप जब चाहें गुस्ल कर सकते हैं यह जिस्म की सफाई के लिए एक अच्छा अमल है।  
  • लेकिन कुछ ज़रूरी वजहें से शरीअत ने गुस्ल करना फ़र्ज़ कर दिया है और जब तक आदमी गुस्ल ना करे तो नापाक ही रहता है और वो वजहें ये हैं।
  • एह्तेलाम ( Nightfall ) होने के बाद।
  • औरत से सोहबत ( Intercourse ) के बाद, और औरतों को भी चाहिए को मर्द से सोहबत के बाद ग़ुस्ल लाज़मी करें।
  • औरत के हैज़ ( माहवारी ) बंद होने के बाद।
  • निफास का खून ( बच्चे की पैदाइश के बाद आने वाला खून ) बंद होंने के बाद।

ग़ुस्ल के बारे में कुछ ज़रूरी बातें

  • यानि वो काम जिनको करने से सवाब में इज़ाफ़ा हो जाता है।
  • ग़ुस्ल करते वक़्त क़िबले की तरफ मुँह और पीठ ना करना।
  • अगर मर्द खुली जगह पर नहाये तो नाफ़ से घुटने तक का जिस्म पर कोई कपड़ा या तहबंद बाँधकर नहाये, जबकि औरत का खुली जगह पर नहाना सही नहीं है।
  • ग़ुस्ल करते वक़्त किसी भी तरह की बात न करना और न ही कोई दुआ पढ़ना।

(हदीस):- अल्लाह के मेहबूब मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि हर मुसलमान पर ग़ुस्ल फ़र्ज़ है अगर वो नापाक है तो उस पर ग़ुस्ल फ़र्ज़ है बिना ग़ुस्ल के वो नमाज़ नहीं पढ़ सकता और फ़रमाया कि हर मुसलमान को चाहिए कि वो पाक रहे।फ़रमाया पाकी आधा ईमान है।

हिदायत:- नाज़रीन ये बात लाज़मी याद रक्खें कि मर्दों और औरतों के ग़ुस्ल करने में कोई बदलाव नहीं है। यानि दोनों का ग़ुस्ल करने का तरीक़ा एक जैसा ही है।

नॉट :- नाज़रीन ये था ग़ुस्ल करने का सही तरीक़ा और कुछ ज़रूरी बातें जो क़ुरआन और हदीस से साबित होती हैं। अगर आप का दीन और दुनिया से जुड़ा कोई सवाल है, या फिर आप हमें कुछ नसीहत करना चाहते हैं। हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएं।


उम्मीद करते हैं आप को पोस्ट पसंद आयी होगी
जज़ाक़ अल्लाह।

4 thoughts on “ग़ुस्ल करने का सुन्नत तरीक़ा | Gusal Karne ka Sunnat Tarika”

    • asslam o alikum,
      mafi chahte hein aap ko kafi der se replay mila,
      nhi janab gusal ke bad koi bhi surah nhi pardh ke dum krni bs aap ki gusal ki niyat honi chahiyye……..

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