खाना खाने की दुआ और सुन्नत | Khana Khane Ki Dua or Sunnat

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अस्सलामु अलैकुम नाज़रीन इस पोस्ट में आज हम खाना खाने की दुआ और सुन्नत के बारे में पढ़ेंगे।

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खाना खाने की दुआ हिंदी में

“बिस्मिल्लाहि व अला बर क तिल्लाहि”

(तर्जुमा):- मैंने अल्लाह के नाम से और अल्लाह की बरकत पर खाना शुरू किया।

खाना खाने के बाद कि दुआ हिंदी में

“अलहम्दु लिल्लाहिल्लज़ी अत अ मना व सकाना व ज अलना मिनल मुस्लीमीन”

(तर्जुमा):- तमाम खूबियाँ उस अल्लाह के लिए है जिसने हमें खिलाया और पिलाया और मुसलमान बनाया।

खाना खाने का सुन्नत तरीका

सोलाह हैं- 16

  1. दोनों हाथ गट्टों (कलाई) तक धोना।
  2. दस्तरख्वान बिछाना।
  3. बिस्मिल्लाह पढ़ना।
  4. दाहिने हाथ से और अपने सामने से खाना।
  5. तीन उँगलियों से खाना।
  6. प्याला, तश्तरी नेज़ उँगलियों को चाट कर साफ करना।
  7. अगर लुक़्मा दस्तरख़्वान पर गिर जाये तो उठा कर खा लेना, खाने में नुस्क न निकलना।
  8. छोटा लुक़्मा लेना और खाना ज़्यादा गर्म ना खाना।
  9. रकाबी या प्याला में हाथ न झटकना नेज़ रोटी से चाक़ू, चम्मच या हाथ न पोछना।
  10. खाना, चाय, पानी वगैरह में फूंक न मरना।
  11. लेट कर, तकिया लगा कर, पलटी मर कर या खड़े हो कर बिला ज़रूरत न खाना।
  12. नमकीन से खाना शुरू करना और उसी पर खाना ख़त्म करना।
  13. खाने से फ़ारिग़ हो कर दुआ पढ़ना, हाथ धोना, दिल चाहे तो साबुन इस्तेमाल करना और कुल्लू करना।
  14. पहले दस्तरख़्वान उठाना, फिर खुद उठना और दस्तरख़्वान उठाने की दुआ पढ़ना।
  15. दूसरों से साथ खाना खाने में बड़ो के शुरू करने का इंतज़ार करना।
  16. बाज़ार में, सड़क के किनारे और ऐसी जगह खाना अच्छा न समझा जाता हो वहाँ न खाना।

(हदीसें) :- एक साथ खाना खाने से बरकत आती है।

खाना खाने से पहले अगर बिस्मिल्लाह न पढ़ी जाये तो उस खाने को शैतान के लिए हलाल समझा जाता है।
(सही मुस्लिम)

जब कुछ खाएं या पियें तो सीधे साथ से खाएं क्योंकि उलटे हाथ से शैतान खाता पिता है।
(सही मुस्लिम)

छुरी काँटे से खाना जायज़ नहीं है। ये सुन्नत के ख़िलाफ़ है अगर कुछ ऐसी चीज़े हैं जो बिना चम्मच के नहीं खा सकते तो जाइज़ है।

कच्चा लहसुन और प्याज़ खाना मना है। ये सुन्नत के ख़िलाफ़ है ये मुँह में बदबू पैदा करता है पका हुआ खाने में कोई मनाही नहीं है।

“हज़रत मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ग़िज़ा”

आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम लौकी बहुत शौक़ से खाते थे, बकरी का गोश्त बहुत पसंद था खास तौर पर दाहिना दस्त (हाथ) आपको बहोत पसन्द था।

सिरका, खजूर, जौ आपकी ग़िज़ा में शामिल था। आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम शहद बहुत शौक़ से खाते थे। कलौंजी के बारे में आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फ़रमाते हैं कि कलौंजी में हर मर्ज़ की दवा है मौत के अलावा।

नाज़रीन ये था खाना खाने का मुक़म्मल तरीक़ा , उम्मीद करता हूं आप को समझ आया होगा। अगर आप का कोई सवाल है तो बराये मेहरबानी आप comments सकते हैं।

नॉट :- नाज़रीन ये था खाना खाने का सही तरीक़ा और कुछ ज़रूरी बातें जो क़ुरआन और हदीस से साबित होती हैं। अगर आप का दीन और दुनिया से जुड़ा कोई सवाल है, या फिर आप हमें कुछ नसीहत करना चाहते हैं। हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएं।

उम्मीद करते हैं आप को पोस्ट पसंद आयी होगी
जज़ाक़ अल्लाह।

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