पानी पीने की दुआ
“बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम”
(तर्जुमा):- शुरू करता हूं अल्लाह के नाम से जो निहायत मेहबान और रेहमन करने वाला है।
पानी पिने के बाद कि दुआ
“अल्हम्दुलिल लाहिल लज़ी सकाना अजबन फुरातम बि रहमतिही वलम यज अल्हु मिल्हन उजाजम बिजुनूबिना”
(तर्जुमा):- तमाम तारीफें उस अल्लाह के लिए हैं जिस ने हमें मीठा और साफ़ शफ्फाफ़ पानी पिलाया और हमारे गुनाहों की वजह से खारा और कड़वा नहीं बनाया।
पानी पीने का मुक़म्मल, सही और सुन्नत तरीका
छे हैं – यानि वो तरीक़े जिन पर अमल करने से सवाब मिलता है।
- पीने वाली चीज़ बैठ कर पीना और बर्तन सीधे हाथ से पकड़ना।
- शुरू में बिस्मिल्लाह और आखिर में अल्हम्दु लिल्लाह पढ़ना।
- पीने से पहले बर्तन में अच्छे से देख लेना की बर्तन में कोई तिनका वगैरह तो नहीं है।
- पानी तीन साँस में पीना और साँस लेते समय बर्तन को मुँह से अलग कर लेना।
- बर्तन के टूटे हुए किनारे की तरफ से ना पीना।
- वज़ू का बचा हुआ पानी खड़े होकर पीना।
(हदीसें) :-
हज़रत इब्न अब्बास राज़ी अल्लाह ताला अन्हु से रिवायत है की सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया है कि ऊंट कि तरह पानी न पिया करो (तिर्मिज़ी)
हदीस में प्यासे को पानी पिलाने का हुक़्म है प्यासे को पानी पिलाना बहुत सवाब का काम होता है।
एक और हदीस में मरवी है कि एक आदमी ने पियासे कुत्ते को पानी पिलाया। और उस वजह से अल्लाह ता’अला ने उस आदमी के सारे गुनाह को मुआफ़ कर दिया। (बुखारी)
Masha Allah so Biyutifol triqa h..