क़ुरबानी का तरीका और दुआ | Qurbani Ka Treeka Or Dua

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Qurbani Ka Treeka Or Dua बहुत से लोग क़ुरबानी तो करवाते है लेकिन उनको क़ुरबानी का सही तरीका और दुआ नहीं मालूम होती इस पोस्ट के ज़रिये सभी लोगो को यह जानकारी मिल जाएगी पोस्ट को पूरा ज़रूर पढ़ें।

क़ुरबानी करते वक़्त जानवर को क़िब्ला की तरफ दाई करवट लेटाएं जिस तरह क़ब्र में जनाज़े को लेटते हैं, फिर ज़बाह करने से पहले यह दुआ पढ़ें –


क़ुरबानी की दुआ

इन्नी वज्जहतु वजहिय लिल्लज़ी फ़तरस्समावाति वल्अरज़ा हनीफ़ंव व मा अना मिनल्मुशरिकीन, इन्ना सलाती व नुसुकी व महयाया व ममाती लिल्लाहि रब्बिल अ़ालमीन, ला शरीक लहु व बिज़ालिक उमिरतु व अना मिनल्मुस्लिमीन, अल्लाहुम्म मिन्क व लक अन

अन के बाद अपना या फिर जिस की तरफ से ज़बह कर रहे हो उस का नाम लें उसके बाद  बिस्मिल्लाहि अल्लाहु अकबर कह के जबाह करें। 

qurbani karne ki dua
Qurbani Ki Dua

क़ुरबानी का सही तरीका

नीचे हमने क़ुरबानी करने का सही तरीका बताया है – :

क़ुरबानी का वक़्त 

ईद की दसवीं तारिख की सुबह सादिक से लेकर बारहवी तारिख के, गुरुब आफ़ताब तक क़ुरबानी करने का वक़्त है, इन तीन दिनों में जिस दिन आप चाहो क़ुरबानी कर सकते हो, और सब से बेहतर दिन 10 तारिख बक़रीद का दिन है। 

शहर और कस्बो में जहाँ ईद कि नमाज़ होती है, ईद की नमाज़ से पहले क़ुरबानी दुरुस्त नहीं है, जिन दिहात और गाओ में नमाज़ नहीं होती वहाँ नमाज़ से पहले सुबह सादिक के तुरंत बाद क़ुरबानी कर सकते हैं।

शहर और कसबे वाले अपनी क़ुरबानी किसी दिहात या गाओं में भेज कर ईद की नमाज़ से पहले अगर करना चाहें तो दुरुस्त है।  

ज़बाह की कुछ हिदायत 

  • ज़बाह से पहले चारा खिलाना, पानी पिलाना और छुरी पहले ही खूब तेज़ करके रख लें। 
  • एक जानवर को दूसरे जानवर के सामने ज़बाह करना या जानवर के सामने छुरी तेज़ करना मकरू है। 
  • गर्दन के ऊपर से छुरी चलाना और जानवर को ठंडा होने से पहले खाल उतारना मकरू हे । 
  • ज़बाह की जगह ले जाते  वक़्त घसीट के ले जाना और बहुत सख्ती से गिराना भी मकरू है ।  

क़ुरबानी के अगलात 

  • बिना कुरबानी के दिन कुरबानी होने तक रोज़ा रखना चाहिए जो एक असल से, लेकिन क़ुरबानी से पहले खाना मुस्तहिब हे यानि की अगर कुरबानी के गोश्त से पहले कुछ खा लिया तो कोई गुनाह नहीं।
  • कुछ लोग कहते हे की जितने लोगो ने जानवर में हिस्सा लिया हे सब को ज़बह करने से पहले बिस्मिल्लाहि अल्लाहु अकबर केहना ज़रूरी हे, यह बिलकुल गलत है। 
  • क़ुरबानी करने वाले को ही ( जबाह करने वाले को ) ही बोलना ज़रूरी है। 
  • अक्सर लोग गोश्त को बिना तोले बाटते हैं यह बिलकुल भी जाएज़ नहीं गोश्त को तोल के बराबर बराबर बाटना चाहिए। 
  • कुछ लोग ज़बाह से पहले ही खाल फरोख्त कर देते हैं तो याद रहे ज़बाह से पहले खाल की फरोख्त करना हराम है। 
  • क़ुरबानी का जानवर खूब मोटा, ताज़ा खूबसूरत होना चाहिए। 
इस पोस्ट को ज़रूर पढ़ें - क़ुरबानी का जानवर कैसा होना चाहिए 

गोश्त बाटने का तरीका 

सुलेमान बिन बुरेढा ने अपने वालिद से रिव्यात करते हैं की रसूल अल्लाह सल्ला अलैहि वसल्लम ने फरमाया

“मैं पहले तुम्हें क़ुरबानी का गोश्त 3 दिन से ज्यादा खाने को मना करता था ताकि कुर्बानी करने की ताकत रखने वाले उन्हें भी दे जो कुर्बानी करने की हैसियत नहीं रखते तो अब जब तक चाहो खाओ दूसरों को खिलाओ और उसमें से बचाऔ भी’

3 दिन से ज्यादा कुर्बानी का गोश्त खाना और बचाना जायज है 3 दिन के अंदर अंदर गोश्त खत्म करने का हुक्म कुछ वक्त के लिए था जो बाद में हटा दिया गया

  • अच्छा यह है कि क़ुरबानी के गोश्त के तीन हिस्से करें, एक हिस्सा आम मसाकीन के लिए, दूसरा हिस्सा अपने करीबियों के लिए, और तीसरा हिस्सा अपने लिए। अगर सारा गोश्त खुद रखना चाहो तो भी जाएज़ है
  • क़ुरबानी का गोश्त आप काफिर को भी दे सकते हो
  • अपनी क़ुरबानी का गोश्त बेचना जाएज़ नहीं और अगर बेच दिया तो सारी रकम हराम है, सारी रकम किसी मिस्कीन को देना ज़रूरी है।
  • अगर किसी ने किसी को गोश्त दिया और उसने बेच दिया उसके लिए रकम का इस्तेमाल करना जाएज़ है।
  • मय्यित की वसीयत पर तिहाई माल से क़ुरबानी करी तो पूरा गोश्त मसाकीन को सदका करना वाजिब है।
  • अगर नौकर या मुलाज़िम का खाना उसकी तनख्वाह का हिस्सा हो यानी उसका खाना भी तनख्वाह में शुमार किया जाता हो तो ऐसे मुलाजिम या नौकर को क़ुरबानी का गोश्त खाने में देना जायज नहीं होगा अगर यह सूरत इख्तयार की जाए कि उसको उन दिनों के खाने की कीमत दे दे फिर खिलाना जाएज़ होगा अलबत्ता जिनका खाना नहीं उसको खिलाना जायज है।

खाल का बयान 

  • जानवर की खाल उतरने में बे एहतयाती की वजह से खाल में सुराख़ करके उसे बेकार और कम कीमत बनाना जाएज़ नहीं।
  • खाल उतारने से पहले उसे बेचना जाएज़ नहीं ।
  • जानवर की खाल की कीमत मस्जिद, मदरसे  किसी भी तरह के शफाखाना बनाने के लिए देना जाएज़ नहीं, कियोंकि खाल की कीमत को फ़कीर को देना चाहिए लेकिन यहाँ फ़कीर नहीं पाए जाते। लेकिन मदरसे में पढ़ने वाले बच्चो के ऊपर खर्च कर सकते हैं।

क़ुरबानी का मकरू होना

यह काम भूल कर भी ना करें

  • लोहे के बिना किसी दूसरी चीज़ के ज़रिये या गन्दी छुरी से  क़ुरबानी करना
  • जानवर को लेटने के बाद छुरी तेज़ करना या फिर उसके सामने तेज़ करना 
  • ठंडा होने से पहले सर काटना या खाल उतारना 
  • क़िबला रुख किये बिना ज़ाबाह करना या फिर छुरी हराम मगज़ तक पोहचाना, या गर्दन काट कर अलग करना। क़ुरबानी से पहले जानवर के बाल काटना, उस पर सवार होना, बोझ लादना,उसे किराय पर चढ़ाना। 
  • उस का दूध निकालना, और गोबर का इस्तेमाल करना अगर जानवर को घर में बांड करके चारा खिलाया जाय तो उसके दूध और गोबर उसी की मलकियत है, सदका करने के बजाये इस्तेमाल में ला सकते हैं 
  • जानवर के रस्से को भी इस्तेमाल में नहीं लाना चाहोये उसके सरे सामान को सदक़ा कर देना चाहिए 
  • क़ुरबानी ररात में नहीं करनी चाहिए। 

ये था क़ुरबानी का तरीका और दुआ | Qurbani Ka Treeka Or Dua इस जानकारी को सभी तक पोहचाओ अल्लाह आपको और हमको क़ुरबानी करने की ताकत दे 

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