Surah Naas in Hindi | सूरह नास हिंदी में
सूरह नास क़ुरान मजीद की आखरी दो सूरतों में से एक है। सूरह नास में 6 आयत, 20 कलमात और 79 हरुफ मोजूद हैं।
पारा | 30 |
सूराह | 114 |
नाज़िल होने की जगह | मक्का |
आयात | 6 |
सूरह नास हिंदी में
बिस्मिल्ला हिर्रह्मा निर्रहीम
- क़ुल अऊज़ु बिरब्बिन-नास
- मलिकिन-नास
- इलाहिन-नास
- मिन शररिल वसवासिल ख़न्नास-
- अल्लज़ी युवास्विसु फ़ी सुदूरिन्नास
- मिनल-जिन्नति वन्नास
सूरह नास का हिंदी तर्जुमा
शुरू करता हु अल्लाह के नाम से जो निहायत मेहरबान व रहम वाला है
- (ऐ रसूल) तुम कह दो मैं लोगों के परवरदिगार
- लोगों के बादशाह
- लोगों के माबूद की (शैतानी)
- वसवसे की बुराई से पनाह माँगता हूँ
- जो (ख़ुदा के नाम से) पीछे हट जाता है जो लोगों के दिलों में वसवसे डाला करता है
- जिन्नात में से ख्वाह आदमियों में से
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सूरह नास कब और कहाँ नाज़िल हुई
यह सूरत मक्का में नाज़िल हुई ( कुछ रवायत में इस सूरह को मदीना में नाज़िल होना भी बताया गया है )
जैसे जैसे इस्लाम की दावत फैलती गयी वैसे वैसे कुफ्फार और कुरेश की मुखालिफत भी बढ़ती गयी।
जिन लोगो ने इस्लाम कबूल किया था उन के खानदान के दिलों में तो हुज़ूर ल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के खिलाफ हर वक्त गुस्सा भरा रहता था।
घर घर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को कोसा जा रहा था।
लोग तरकीब बना रहे थे की किसी वक़्त रत को छुप कर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को कतल कर दें, ताकि बनी हाशिम को कातिल का पता भी ना चले।
आप के खिलाफ जादू टोना किया जा रहा था ताकि आपका या तो इंतकाल हो जाये या फिर बीमार पड़ जाएँ।
बहुत से लोगों के दिलों में हसद की आग भी जल रही थी, कियोंकि वो अपने सिवा या अपने कबीले की किसी आदमी के सिवा दूसरे किसी शख्स का चिराग जलती नही देख सकते थे।
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सूरह नास का खुलासा
रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि इन लोगों से कह दो की में पनाह मांगता हूँ सभी के रब से,
तमाम मख़लूक़ात के शर से और जादू गरौ और जादू गरनियों के शर से, और हासादो के शर से।
और उन से केह दो की में पनाह मांगता हूँ इंसानों के रब,
इंसानो के बादशाह और इंसानों के माबूद की हर उस वस वसा अंदाज़ के शर से जो बार बार पलट कर आता हैं,और लोगों के दिलों में वस वसे डालता है,
वो शैतान जिन में से हो या शैतान इंसान में से हो।
ये इस तरह की बात है जैसे हज़रत मूसा अले हिस्सलाम ने उस वक़्त फ़रमाई थी जब फिरोन ने भरे दरबार में इन के कतल का इरादा ज़ाहिर किया था
सवाल जवाब
सूरह नास कहाँ नाज़िल हूई?
मक्का में
सूरह नास कुरान के कौन से पारे में हे?
अलिफ्-लाम्-मीम् (30 वे)
सूरह नास कुरान की कौन सी सूरह हे?
114
Surah naas read karane ke fayada kya h. Write karo.