सूरेह नस्र क़ुरआन की तमाम सूरतों में से एक सूरेह है। ये सूरेह मक्का में नाज़िल हुई, ये क़ुरआन की 110वीं सूरेह है, सूरेह नस्र क़ुरआन के 30वे परे में है और इस सूरेह में 3आयतें है।
पारा | 30 |
सूराह | 110 |
नाज़िल होने की जगह | मदीना |
आयात | 3 |
सूरेह नस्र हिंदी में
- बिस्मिल्लाह-हिर्रहमान-निर्रहीम
- इज़ा जा आ नसरुल्ला ही वल फतह
- वरा अयतन्नासा यदखुलूना फी दीनिल ल्लाही अफ़वाजा
- फसब्बिह बिहमदी रब्बिका वस्तगफिरहू, इन्नहू काना तौव्वाबा
सूरेह नस्र का हिंदी तर्जुमा
- शुरू करता हो अल्लाह के नाम से जो निहायत रेहम करने वाला है।
- जब अल्लाह की मदद और फतेह आ पहुंचे।
- और आप लोगो ने अपनी आंखों से देख लिया कि अल्लाह के दीन में इंसानों की फौज दर फौज दाख़िल हो रहे हैं।
- तुम बस अपने परवरदिगार की तारीफ करो और उस से रेहम और मग़फ़िरत की दुआ मांगते रहो बेशक अल्लाह पाक तुम्हारी तमाम तौबा कबूल फरमाएंगे।
सूरेह नस्र PDF in Hindi
सूरेह नस्र से जुड़ी कुछ बातें
- सही बुखारी से रिवायत है कि जब मक्का में फतेह हासिल हो गयी तो उस वक़्त मक्के के हर क़बीले ने नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को और इस्लाम कि क़बूल किया।
- सूरेह नस्र को एक बार पढ़ने का मतलब होता है कि हमने एक चौथाई कुरान पढ़ लिया क्यूंकि सूरह नस्र एक चौथाई कुरान के बराबर है।
- एक हदीस में है कि जब सुरह नस्र पहली बार नाजिल हुई तो हमारे नबी ने बीबी फातीमा रज़ी अल्लाहु आला अन्नहा को बुलाया और कहा कि उनके पर्दा फरमा जाने का हुक्म हो चुका है तो वह पहले रोईं और फिर मुस्कुरा दीं।
- एक हदीस में है कि सूरेह नस्र के नजूल होने के बाद से आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ज़्यादा तर अपनी नमाज़ पढ़ा करते थे।
- सूरह नस्र से मुराद इस्लाम की फतह से है।
(सहीह बुख़ारीः 4967, 4968)
नसीहत:- क़ुरआन को हमेशा ठहर ठहर के और सही और यक़ीन के साथ पढ़ा करें।
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नॉट:- नाज़रीन ये था सूरेह नस्र को हिंदी में पढ़ने का तरीक़ा और कुछ बातें जो क़ुरआन और हदीस से मिलती हैं।
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जज़ाक अल्लाह…..
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