सूरेह नूह क़ुरान की तमाम सूरतों में से एक सूरेह है, ये क़ुरआन की 71वीं सूरेह है, इस में 28 आयतें हैं। ये सूरेह क़ुरआन के 29वें पारे में मौजूद है और इस सूरेह में 2 रुकू है।
पारा | 29 |
सूराह | 71 |
नाज़िल होने की जगह | मक्का |
आयात | 28 |
सूरेह नूह हिंदी में
अऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम
पनाह मांगता हों में अल्लाह की शैतान मरदूद से।
बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहिम
शुरू करता हूं अल्लाह के नाम से जो निहायत रेहम करने वाला है।
इन्ना अर् सलना नूहन् इला कौमिही’ अन् अन्ज़िर क़ौ-म-क मिन् क़ब्लि अय्यंअ्ति-यहुम् अज़ाबुन् अलीम1
बेशक हम ने नूह को उस कि क़ौम की तरफ भेजा कि उन को डराए कि उस से पहले उन पर अज़ाब आये।
क़ा-ल या क़ौमि इन्नी लकुम् नज़ीरूम् मुबीन
उन्होंने फ़रमाया कि ए मेरी क़ौम में तुम्हारे लिए सही डर सुनाने वाला हूं।
अनिअ्बुदुल्ला-ह वत्त्कूहु व अतीअून
कि अल्लाह कि बंदगी करो और उस से डरो और मेरा हुकुम मानों।
यग्फिर् लकुम् मिन् जुनूबिकुम् व यु-अख्खिर् कुम् इला’अ-जलिम् मुसम्मन् इन्-न अ-ज-लल्लाहि इज़ा जा-अ ला यु-अख्खरु’लौ कुन्तुम् तअ्लमून
वो तुम्हारे कुछ गुनाह बख़्श देगा और कुछ समय कि मोहलत देगा बेशक का वडा जब आता है हटाया नहीं जा सकता किसी भी तरह आये नबी तुम जानते हो।
क़ा-ल रब्बि इन्नी दऔतु क़ौमी लैलंव् व नहारा
उन्होंने कहा ए मेरे रब मेने अपनी क़ौम को रात दिन बुलाया।
फ़-लम् यज़िद्हुम् दुआइ’ इल्ला फ़िरारा
तो मेरे बुलाने से वो और ज़्यादा भागने लगे।
व इन्नी कुल्लमा दऔतुहुम् लितग़्फ़ि-र लहुम् जआलव असा़बि-अ़हुम् फ़ी आज़ानिहिम् वस्तग़्शौ सि़या-बहुम् व अस़र्रू वस्तक्बरुस्तिक्बारा
और मेने जितनी बार उन्हें बुलाया कि तू बख़्शने वाला है उन्होंने अपने कानों में उँगलियाँ दे लीं और अपने कप ओढ़ लिए और हट की और बड़ा ग़ुरूर किया
सुम्-म इन्नी दऔतुहुम् जिहारा
फिर मैनें उन्हें खुले आम बुलाया।
सुम्-म इन्नी अअ्लन्तु लहुम् व अस्-रर्तु लहुम् इस्रारा
फिर मैनें उन से खुलेआम भी कहा और ख़ुफ़िया भी कहा।
फ़कुल्तुस्तग्फ़िरू रब्बकुम्, इन्नहू का-न ग़फ्फ़ारय्
तो मैंने कहा अपने रब से माफ़ी मानगो वो बड़ा माफ़ करने वाला है।
युर्सिलिस् समा-अ अ़लैकुम् मिद् रारव्
वो तुम पर खूब बरसने वाला बदल भेजेगा।
व युम्दिद्कुम् बि-अम्वालिव् व बनी-न व यज्अ़ल् लकुम् जन्नातिव व यज्अ़ल् लकुम् अन्हारा
और माल और बेटों से तुम्हारी मदद करेगा, और तुम्हारे लिए नेहरे बनाएगा।
मा लकुम् ला तर्जु-न लिल्लाहि वक़ारा
तुम्हें क्या हो गया है तुम अल्ल्ह से इज़्ज़त साहिल करने की उम्मीद क्यों नहीं रखते।
व क़द् ख़-ल-क़कुम् अत्वारा
हालाँकि उसने तम्हे अलग अलग तरह से बनाया।
अ-लम् तरौ कै-फ़ ख़-ल-क़ल्लाहु सब्-अ़ समावातिन् ति़बाक़व्
क्या तुम नहीं देखते अल्लाह ने किस तरह एक पर एक सात आसमान बनाये
व ज-अ़-लल् क़-म-र फ़ीहिन्-न नूरव् व ज-अ़-लश् शम्-स सिराजा
और उस पर चाँद को रोशन किया, और सूरज में रौशनी दी।
वल्लाहु अम्ब-तकुम् मिनल्अर्ज़ि नबाता
और अल्लाह ने तम्हें सब्ज़े की तरह ज़मीं से उगाया।
सुम्-म युअी़दुकुम् फ़ीहा व युख़ रिजुकुम् इख़राजा
फिर तम्हें उसी में ले जाया जायेगा और फिर दुबारा निकला जायेगा।
वल्लाहु ज-अ़-ल लकुमुल् अर्-ज़ बिसातल
और अल्लाह ने तम्हारी ज़मीन को बिछोना बनाया।
लितस्लुकू मिन्हा सुबुलन् फ़िजाजा
ताकि तुम उस के बताये रस्ते पर चलो।
क़ा-ल नूहुर्र्ब्बि इन्नहुम् अ़सौ़नी वत्त-बअ़ु मल्लम् यजिद्हु मालुहू व व –लदुहू इल्ला ख़सारा
नूह ने अर्ज़ की ए मेरे रब उन्होंने मेरी न फ़रमानी की और इस तरह पीछे हुए की जैसे उन के माल और औलाद ने नुक़सान उठाया।
व मा-करू मक्’रन् कुब्बारा
और बहुत बड़ा दाओ खेले।
व क़ालू ला त-ज़रून्-न आलि-ह-तकुम् व ला त-ज़रून्-न वद्’दव् व ला सुवाअव्’व ला यगू़-स़ व यऊ-क़ व नस् रा
और बोले हरगिज़ न छोड़ना अपने खुदाओं को और हर गिज़ न छोड़ना वद्द को छोड़ो और न ‘सुवा’ को और न ‘यग़ूस’ और न ‘यऊक़’ और ‘नस्र’ को’ ।
व क़द् अज़ल्लू कसी़र न्व्ला तज़िदिज्ज़ालिमी-न इल्ला ज़लाला
और बेशक उन्होंने बोहोतों को बहकाया और तो तू उन्हें सरता न दिखा अब।
मिम्मा ख़ती’आतिहिम् उगरिक़ू फ़उद्ख़िलू नारन् फ़-लम् यजिदू लहुम् मिन् दूनिल्लाहि अन्सा़रा
वो अपनी बड़ी ख़ताओं की वजह से पानी में डुबो दिए गए और फिर आग में दाखिल किये गए फिर उन्होंने अल्लाह के मुक़ाबले अपना कोई मदद गार न पाया।
व क़ा-ल नूहुर्र्ब्बि ल़ा त-ज़र् अ़लल्अर्जि़ मिनल् काफ़िरी-न दय्यारा
और नूह ने अरज़ की ए मैंने रब ज़मीन पर बसने वालो काफ़िरों में से किसी न छोड़ना।
इन्न-क इन्’त- ज़र्हुम् युज़िल्लू अ़िबा-द-क व ला यलिदू इल्ला फ़ाजिरऩ् कफ़्फ़ारा
अगर तू उन्हें रहने देगा तो तेरे बन्दों को गुमराह करेंगे और उन की औलादें भी बदकर होंगी।
रब्बिग़्फ़िर्ली व लिवालिदय्-य व लिमन् द-ख़-ल बैति-य मुअ्मिनव व लिल्मुअ्मिनी-न वल्मुअ्मिनाति’व ला तज़िदिज्ज़ालिमी-न इल्ला तबारा
ए मेरे रब मझे बख़्श दे और मेरे माँ बाप को भी और उसे जो इमान के साथ मेरे घर में है और सब मुसलमान मर्दों और सब मुसलमान औरतों को और काफ़िरों को न छोड़ना।
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Surah Nooh Pdf in Hindi
सूरेह नूह को पढ़ने के फायदे
- औरत गले में इस का नक़्श बांध ले तो औलाद की न्यामत से मालामाल हो जाएगी।
- इसे लिख कर अगर मैदान में रख दिया जाये तो बारिश होने लगेगी।
- य बात ज़ेह नशीन कर लें कि क़ुरआन शरीफ की किसी भी सूरेह या आयात को अमल अमल में लाने के लिए सदक़ा, दिल और दिमाग, पाकीज़गी, सच्चाई, फ़राएज़ (नमाज़) की पाबन्दी ज़रूरी है।
नसीहत:- क़ुरआन को हमेशा ठहर ठहर के और सही और यक़ीन के साथ पढ़ा करें।
यह सूरह भी पढ़े - : सूरह क़द्र हिंदी में
नॉट:- नाज़रीन ये था सूरेह नूह को हिंदी में पढ़ने का तरीक़ा और कुछ बातें जो क़ुरआन और हदीस से मिलती हैं।
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सूरेह नूह सवाल जवाब
सूरेह नूह कहाँ नाज़िल हूई
मक्का में
सूरेह नूह कुरान के कौन से पारे में हे
29वे
सूरेह नूह कुरान की कौन सी सूरह हे’
71वी
3 thoughts on “71 सूरेह नूह हिंदी में। Surah Nooh in Hindi”