सूरेह मुज़म्मिल क़ुराम कि 73वीं सूरेह है, ये क़ुरआन के 29वें पारे में है और इस में 20 आयतें हैं।
पारा | 29 |
सूराह | 73 |
नाज़िल होने की जगह | मक्का |
आयात | 20 |
सूरेह मुज़म्मिल हिंदी में
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
शुरू करता हूं अल्लाह के नाम से जो निहायत रेहम करने वाला है।
या अय्युहल् मुज़्ज़म्मिलु
चादर लपेटे ऐ मेरे रसूल
कुमिल् लै-ल इल्ला क़लीला
रात को क़याम (नमाज़ के वास्ते) खड़े रहो मगर (पूरी रात नहीं)
निस्फ़हू अविन्क़ुस् मिन्हु क़लीला
आधी रात या उस से कुछ कम करो या उस पर कुछ बढ़ा दो।
औ ज़िद् अ़लैहि व रत्तिलिल् कुरआन तरतीला
और क़ुरान को ख़ूब ठहर ठहर कर पढ़ा करो
इन्ना सनुल्क़ी अ़लैक क़ोलन् सक़ीला
बेशक हम तुम पर एक भारी रात डालेंगे।
इन्न- नाशि-अतल्लैलि हि-य अशद्दु वत्अव् व अक़्वमु क़ीला
बेशक रात का उठना ज़्यादा भारी दबाओ डालता है।
इन्न ल-क फ़िन्नहारि सब्हन् तवीला
बेशक दिन में तुम को बहुत से काम है।
वज़्कुरिस्म रब्बि-क व त-बत्तल् इलैहि तब्तीला
और अपने रब का नाम याद करो और सब से टूट कर हो रहो।
रब्बुल् मशरिक़ी वल् मग़रिबी ला इला-ह इल्ला हु-व फ़त्तख़िज़हु वकीला
वो पूरब का रब है वो पच्छिम का रब है उस के सिवा कोई माबूद नहीं, तो तुम उसी का अपना कारसाज़ बनाओ।
वसबिर अ़ला मा यकूलू-न वह्जुरहुम् हज्रन् जमीला
जो लोग उल्टा बकते हैं उन की बातों पर सब्र फरमाओ और उन्हें पूरी तरह छोड़ दो।
व ज़र्नी वल् मुकज़्ज़इ बी-न उलिन्नअ्मति व मह्हिल्हुम् क़लीला
और मुझ पर छोड़ दो उन झुटलाने वालो को और उन्हें कुछ महलत दो।
इन्न लदैना अन्कालव् व जहीमा
बेशक हमारे पास भारी बेड़ियाँ हैं, और जलाने वाली आग भी है।
व तआ़मन् ज़ा गुस्सतिंव् व अ़ज़ाबन् अलीमा
और गले में फंसता खाना और दर्द नाक अज़ाब।
यौ-म तर्जुफुल् आर्ज़ू वल् जिबालु व कानतिल् जिबालु कसीबम् महीला
जिस दिन लरज़ेंगे ज़मीन और पहाड़ और पहाड़ रेतके टीले बन जायेंगे और रेत हवा हो जाएगी।
इन्ना अरसल्ना इलैकुम् रसूलन् शाहिदन् अ़लैकुम् कमा अरसल्ना इला फिरऔन रसूला
बेशक हम ने तम्हारी तरफ एक रसूल (मुहम्मत )भेजे जो तुम्हारे मामले में गवाही दे, उसी तरह जिस तरह फिरऔन की तरफ रसोल भेजे।
फ़-अ़सा फ़िरऔ़नुर-रसू-ल फ़ अख़ज्नाहु अख़्ज़व् वबीला
तो फिरऔन ने उन रसूल का हुकुम न माना, तो हम ने उसे सख़्त गिरफ से पकड़ा।
फ़कै-फ़ तत्तकू-न इन् कफ़र-तुम् यौमंय्यज् अ़लुल् विल्दा-न शीबा
और अगर तुम भी न मानोगे तो उस दिन के अज़ाब से क्यों कर बचोगे जो बच्चों को बूढ़ा बना देगा
अस्समा-उ मुन्फ़तिरुम् बिह का-न वअ्दुहू मफ़अूला
आसमान उस के सदमे से फट जायेगा।
इन्न हाज़िही तज़किरह फ़-मन् शाअत्त-ख़-ज़ इला रब्बिही सबीला
बेशक ये नसीहत है, तो जो चाहे अपने रब की तरफ राह इख़्तयार करे।
इन्न रब्ब-क यअ्लमु अन्न-क तकूमु अद्ना मिन् सुलु-सयिल्लैलि व निस्फ़हू व सुलु-सहू व ताइ फ़तुम् मिनल्लज़ी-न म-अ़-क वल्लाहु युक़द्दिरुल्लै-ल वन्नहा-र अ़लि-म अल्लन् तुह्सूहु फ़ता-ब अ़लैकुम् फ़क़रऊ मा त-यस्स-र मिनल् कुरआन अ़लि-म अन् स-यकूनु मिन्कुम् मरज़ा व आख़रू-न यज़रिबून -न फिल्अर्ज़ि यब्तगू-न मिन् फ़ज़्लिल्लाहि व आखरू-न युक़ातिलू-न फ़ी सबीलिल्लाहि फ़क़्रऊ मा त-यस्स-र मिन्हु व अक़ीमुस्सला-त व आतुज्ज़का-त व अक्रिज़ुल्ला-ह क़रज़न् ह-सनन् व मा तुक़द्दिमु लि-अन्फुसिकुम् मिन् खै़रिन् तजिदूहु अिन्दल्लाहि हु-व खैरंव् व अअ्ज़-म अज्रन् वस्तग्फिरुल्ला-ह इन्नल्ला-ह ग़फूरुर रहीम
बे शक तुम्हारा रब जानता है कि तुम क़याम करते हो, कभी दो तन्हाई रात के क़रीब, कभी आधी रात, कभी तन्हाई और एक ज़मात तम्हारे साथ वाली और अल्लाह दिन रात का अंदाज़ा फरमाता है उसे मालूम है कि ए मुसलमानो तुम से दिन और रात का शुमार न हो सकेगा तो उस ने अपने मैहर से तुम पर रजऊ फ़रमाया अब क़ुरआन में से जितना तुम पर आसान हो उतना पढ़ो उसे मालूम है कि अनक़रीब कुछ तुम में से बीमार होंगे और कुछ ज़मीन में सफर कर रहे होंगे कुछ अल्लाह का फ़ज़ल तलाश करने और कुछ अल्लाह कि राह में लड़ते होंगे तो जितना क़ुरान मयस्सर हो उतना पढ़ो और नमाज़ क़ायम रक्खो और ज़कात दो और अल्लाह को अच्छा क़र्ज़ दो और अपने लिए जो भलाई आगे भेजो उसे अल्लाह के पास बेहतर और बड़े सवाब पाओगे और अल्लाह से बक्शीश मांगो बेशक अल्लाह बक्शने वाला, बड़ा मेहरबान है।
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सूरेह मुज़म्मिल पढ़ने के फायदे
- सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि जो शख़्स रोज़ाना सूरेह मुज़म्मिल पढ़ेगा अल्लाह उस की दीनी और दुनावी मुश्किलात दूर फरमाएगा।
- एक रवायत में हे कि सूरेह मुज़म्मिल पढ़ने वालो को अल्ल्हा खुश रखता है।
- बाज़ औलिया से रवायत है कि जो शख़्स नमाज़ के बाद सूरेह मुज़म्मिल पढ़ेगा अल्लाह उस कि सूरेह कि बरकत से उस कि हाजत पूरी करता है।
- अगर इस सूरेह को पढ़ कर हाकिम के सामने जाये तो हाकिम मेहरबान हो जायेगा।
- सूरेह मुज़म्मिल की तिलावत करने से ये आपको इस दुनिया में लोगों की गुलामी से बचाएगी।
- इस सूरेह कि तिलावत करने से रिज़्क़ में बरकत आती है।
नसीहत:- क़ुरआन को हमेशा ठहर ठहर के और सही और यक़ीन के साथ पढ़ा करें।
नॉट:- नाज़रीन ये था सूरेह मुज़म्मिल को हिंदी में पढ़ने का तरीक़ा और कुछ बातें जो क़ुरआन और हदीस से मिलती हैं।
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सूरेह मुज़म्मिल सवाल जवाब
सूरेह मुज़म्मिल कहाँ नाज़िल हूई
मक्का में
सूरेह मुज़म्मिल कुरान के कौन से पारे में हे
29वे
सूरेह मुज़म्मिल कुरान की कौन सी सूरह हे’
73वी
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