सूरेह मुल्क क़ुरान की तमाम सूरतों में से एक सूरेह है। ये क़ुरआन की 67वीं सूरेह है, और इस में 30 आयतें हैं। ये सूरेह क़ुरआन के 29वें पारे में मौजूद है।
पारा | 29 |
सूराह | 67 |
नाज़िल होने की जगह | मक्का |
आयात | 30 |
सूरेह मुल्क हिंदी में
“अऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम“
पनाह मांगता हों में अल्लाह की शैतान मरदूद से।
“बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहिम”
शुरू करता हूँ अल्लाह के नाम से जो बहुत मेहरबान रहमत वाला हैं।
“तबाराकल्लाजी बियादीहिल मुल्कु वहूवा अला कुल्ली शय इन कदीर”
बड़ी बरक़त वाला है वो जिस के क़ब्ज़ा में सारा मुल्क है और वो हर चीज़ पर क़ादिर है।
अल्लज़ी ख़लाक़ल मौता वल हयाता लियाबलुवाकुम अय्यूकुम अहसानु अमाला अहुवल अज़ीजुल गफ़ूर”
वो जिस ने मौत और ज़िंदगी पैदा की ताकि तुम्हें आज़माया जाये कि तुममें से काम में सबसे अच्छा कौन है और वही इज़्ज़त वाला बख्शने वाला है।
अल्लज़ी ख़लाक़ा सबाआ समावतिन तिबाक़ा मा तरा फ़ी ख़लक़ीर रहमानी मिन तफाउत फर्जियिल बसारा हल तरा मिन फुतूर”
जिस ने सात आसमान बनाया एक के ऊपर एक दूसरा, तू रेहमान के बनाने में क्या फ़र्क़ देखता है, तू निगाह उठा के देख शिग़ाफ़ नज़र आता है
सुम्मर जीयिल बसारा कर्ररतैनी यनक़लिब इलयकल बसारू ख़ासीअव्वाहूवा हसीर”
फिर दूबर निगाह उठा तेरी नज़र हर बार नाकाम लौट आएगी।
वलाक़द ज़य्यन्नस समााआद्दुनिया बिमसा बीहा वजा अलनाहा रूजूमल लिश्शयातीनी वआ तदना लहुम अज़ाबस सईर”
और बेशक हम नें निचे के आसमान को सितारों से आरास्ता किया और उन्हें शैतानों के लिए मार किया और उन के लिए भड़कती आग का अज़ाब तैयार किया।
वालिल्लजीना कफारू बिराब्बिहिम अज़ाबु जहान्नम वा बीसल मसीर”
और जिन्होंने नें अपने रब के साथ कुफ्र किया उन के लिए जहन्नम का अज़ाब है और बहुत ही बुरा ठिकाना है।
इज़ा उलक़ु फीहा समिऊ लहा शहीक़व्वा हिया तफूर”
जब ये लोग जहन्नम डाले जाएँगे तो उसकी बड़ी चीख़ सुनेंगे और वह जोश मार रही होगी।
तकादु तमय्यज़ू मिनल ग़ैज़ कुल्लमा उलक़िया फीहा फौजून आलाहुम खज़ानतुहा अलम यातिकुम नज़ीर”
मालूम होता है कि सिद्द्त-ए-गज़ब फट पड़ेगी जब उसमें (उनका) कोई गिरोह डाला जाएगा तो उनसे जहन्नुम का दरोगा पूछेगा क्या तुम्हारे पास कोई डराने वाला पैग़म्बर नहीं आया था।
क़ालू बला क़द जाअना नजीरूं फकज़्ज़बना वक़ुलना मा नज़ज़ालललाहू मिन शय इन अंतुम इल्ला फी ज़लालिनं कबीर“
वो कहेंगे कि क्यों नहीं बेशक हमारे पास दर सुनने वाले तशरीफ़ लाये थे मगर हम नें झुटलाया और कहा अल्लाह नें कुछ नहीं उतरा और तुम खुद गुमराही में हो।
वक़ालू लव कुन्ना नस्मऊ औे नआक़िलु मा कुन्ना फी असहाबिस सयीर”
और कहेंगे कि अगर हम सुनते समझते तो दोज़ख वालो में न होते।
फातराफू बिज़नंबिहिम फसुहक़ल्लि असहाबिस सईर”
और अब अगर अपने गुनाह का इक़रार किया तो अल्लाह कि तरफ से दोज़ख़ियों को रेहमत न मिलेगी।
इन्नललज़ीना यख़शौना रब्बाहुम बिलग़ैबी लहुम मग़फिरातुं वा अजरून कबीर”
बेशक जो लोग अपने न दिखने वाले रब से डरते हैं उनके लिए मग़फेरत और बड़ा भारी अज्र है।
वा असिर्रू क़ोलाकुम अविजहरु बिही इन्नहु अलीमुम बिज़ातिस सूदूर”
और तुम अपनी बात आहिस्ता कहो या आवाज़ से वो दिलो कि बातें जानने वाला है।
अला यालामु मन खलक़ वहुवल लतीफुल ख़बीर”
भला जिस नें पैदा किया, वही है जो हर बारीकी जनता है, हर बात कि खबर है उसे।
हुवललज़ी जाआला लकुमुल अर्ज़ा ज़लूलन फामशू फी मनाकिबिहा वकुलू मिर रिज़किह वा इलैहिन नुशूर”
वही है जिस नें तम्हारे लिए ज़मीन बनाई, तो उस के बताये हुए रस्तो और चलो उस कि दी हुई रोज़ी खाओ, आखिर कार वापस लौट के उस कि तरफ जाना है।
आ आमिंतुम मन फीस समाई अंय यखसिफा बीकुमुल अरजा फइज़ा हिया तमूर”
क्या तुम इस बार से न डर हो गए हो जिस कि सल्तनत आसमान में है इस बात से बेख़ौफ़ हो कि तुमको ज़मीन में धॅसा दे फिर वह एकबारगी उलट पुलट करने लगे
अम अमिंतुम मंन फिस्समाई अंय युरसिला अलैयकूम फइज़ा हासिबा फसतालमूना कयफा नज़ीर”
या तुम न डर हो गए उस से जिस कि सल्तनत आसमान में है तुम पर पत्थर भरी ऑंधी चलाए तो जानोगे कि कैसा था मेरा डराना।
वलाक़द क कज़्ज़ाबल्लज़ीना मिन क़ब्लिहिम फकयफा काना नकीर”
और जो लोग उनसे पहले थे उन्होने झुठलाया था तो देखो कि मेरी नाख़ुशी कैसी थी।
19. “अवालम यरव इलत्तयरी फौक़हुम साफ्फातिव वयक़बिज्न मा युम्सिकुहुन्ना इल्लर रहमान इन्नहु बिकुल्ली शैइन बसीर“
और क्या उन्होंने अपने ऊपर परिंदे नहीं देखे जो पर फैलते और समेटते हैं, और उन्हें कोई नहीं रोकता सिवाय रेहमान (अल्लाह) के बे शक वो सब कुछ देखता है।
अम्मन हाजल्लज़ी हुआ जुंदुल लकुम यनसुरुकुम मिन दूनिर रहमान इनिल काफिरूना इल्ला फी ग़ुरूर”
या वो कौन सा तम्हारा खुदा है जो रेहम (अल्लाह) के मुक़ाबले तुम्हारी मदद करता है और काफिर लोग धोखे में हैं।
अम्मन हाज़ाल्लज़ी यरज़ूक़ुकुम इन अमसका रिज़क़ह बललज्जु फी उतुव्विव नुफ़ूर”
या कौन सा ऐसा खुदा है जो अल्लाह के सिवा तम्हें रोज़ी दे, अगर वो अपनी रोज़ी रोक ले मगर ये कुफ्फ़ार तो सरकशी और नफ़रत में फँसे हुए हैं भला जो शख़्श औंधे मुँह के बाल चले वह ज्यादा हिदायत याफ्ता होगा।
अफा मइ ययमशी मुकिब्बन अला वजहिही अहदा अम्मय यमशी सविय्यन अला सिरतिम मुस्तक़ीम”
या वह शख़्श जो सीधा बराबर राहे रास्त पर चल रहा हो (ऐ रसूल) तुम कह दो कि ख़ुदा तो वही है जिसने तुमको नित नया पैदा किया।
क़ुल हुवाल्लज़ी अंशाआकुम वजअला लकुमु्स समआ वल अबसारा वलफइदह क़लीलम मा तश्कुरून“
ए नबी तुम लोगो से फरमाओ वही है जिस ने तम्हें पैदा किया, और तम्हारे लिए कान, आँख और दिल बनाये और तुम बहुत कम शुक्र अदा करते हो।
क़ुल हुवललज़ी ज़राआकुम फिल अरज़ी व अिलायहि तुहशरून”
तुम फरमाओ वही है जिस नें तम्हें ज़मीन में फैलाया, और आखिर में उसी की तरफ उठाये जाओगे।
वया क़ुलूना मता हाज़ल वआदू इन कुंतुम सादिकीन”
और कुफ्फ़ार कहते हैं कि ये वादाकब पूरा होगा अगर तुम सच्चे हो तो।
क़ुल इन्नमल इलमु इंदाल्लाह वाइन्नमा अना नज़ीरुम् मुबीन“
तुम फरमाओ ये इल्म तो अल्लाह के पास है और में तो सिर्फ साफ, साफ इस अज़ाब से डराने वाला हूं।
फलम्मा राओहु ज़ुलफतन सीअत वुजूहुल्लज़ीना कफ़रू वक़ीला हज़ल्लज़ी कुनतुम बिही तद्दाऊन”
फिर जब उस अज़ाब को क़रीब से देखेंगे तो काफिरों के मुँह बिगड़ जायेंगे, और उन से फार्मा दिया जायेगा कि यही है जिस के तुम ख़वास्तग़ार थे।
क़ुल अराअयतुम इन अहलकानियल्लाहु वमम् मईया अव रहिमना फामैययुजीरुल काफिरीना मिन अज़ाबिल अलीम“
ए नबी तुम फार्मा दो भला देखो तो कि अगर ख़ुदा मुझको और मेरे साथियों को हलाक कर दे या हम पर रहम फरमाए तो काफ़िरों को दर्दनाक अज़ाब से कौन पनाह देगा।
क़ुल हुवार्रह्मानू आमन्ना बिही वाअलैहि तवकल्लना फसतालमूना मन हुआ फी ज़लालिम मुबीन”
ए नबी तुम फरमाओ वही रेहमान है, हम उस पर ईमान लाये और हमने उसी पर भरोसा किया तो अनक़रीब ही तुम्हें मालूम हो जाएगा कि कौन गुमराही में पड़ा है।
क़ुल अराअयतुम इन असबहा मा ऊकुम ग़ओरन फमैया तीकुम बीमाइम्मइन”
ए रसूल तुम फार्मा दो कि भला देखो तो कि अगर तुम्हारा पानी ज़मीन के अन्दर चला जाए कौन ऐसा है जो तुम्हारे लिए पानी का चश्मा बहा लाए।
यह सूरह भी पढ़े - : सूरेह रेहमान हिंदी में
Surah Mulk in hindi PDF download
सुरह मुल्क पढ़ने के फायदे
- सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया की जो शख़्श इसे रात में पढ़ के सोयेगा अल्लाह उस पर अज़ाबे क़ब्र नहीं आएगा।
- हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्ला वाले वसल्लम इरशाद फरमाया हैं कि एक ऐसी सूरह क़ुरआन में है जिसमें 30 आयतें मौजूद हैं, जो उसे पढ़ने वाले की तब तक वक़ालत करती है, जब तक कि वह माफ ना हो जाए।
- एक रिवायत मे है के जिसने इस सूरत को पढ़ा उसके लिए 70 नेकिया लिखी जाती है और 70 बुराइया दूर की जाती है।
- सूरेह मुल्क पढ़ने वाले के लिए ये सूरेह खुद उस शख़्स के लिए मग़फ़िरत तलब करती है।
- सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि ये सूरेह हर मुस्लिम के दिल में हो।
- जो शख़्स इस सूरेह को 41 मर्तबा पढ़ेगा तो उस कि साडी मुश्किलें हल हो जाएँगी।
- इस सूरेह को हर मुसलमान को पढ़ना चाहिए ये वो सूरज है जो हमें क़ब्र कि आग से बचाएगी।
नसीहत:- क़ुरआन को हमेशा ठहर ठहर के और सही और यक़ीन के साथ पढ़ा करें।
नॉट:- नाज़रीन ये था सूरेह मुल्क को हिंदी में पढ़ने का तरीक़ा और कुछ बातें जो क़ुरआन और हदीस से मिलती हैं।
अगर आप का कोई सवाल हो या फिर आप हमें कोई सलाह देना चाहते हैं आप हमें कमेंट कर सकते हैं।
सवाल जवाब
सूरेह मुल्क कहाँ नाज़िल हूई
मक्का में
सूरेह मुल्क कुरान के कौन से पारे में हे
29वी
सूरेह मुल्क कुरान की कौन सी सूरह हे’
67वे