सूरेह रेहमान क़ुरान की सब से बड़ी सूरेह में से एक है। ये क़ुरआन की 55 वीं सूरेह है, और इस सूरेह में 78 आयतें हैं। “फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान” इस को बार बार दोहराया गया है।
पारा | 27 |
सूराह | 55 |
नाज़िल होने की जगह | मदीना |
आयात | 78 |
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया कि हर चीज़ कि ज़ीनत क़ुरआन है, और क़ुरआन कि ज़ीनत सूरेह रेहमान है।
सूरेह रेहमान हिंदी में
“अऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम“
पनाह मांगता हों में अल्लाह की शैतान मरदूद से।
“बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहिम”
शुरू करता हूँ अल्लाह के नाम से जो बहुत मेहरबान रहमत वाला हैं।
“अर रहमान”
वही बेहद रेहम करने वाला खुदा है
“अल लमल कुरआन”
जिसने अपने मेहबूब को कुरान सिखाया।
“खलक़ल इंसान”
उसी ने इंसान को पैदा फ़रमाया।
“अल लमहुल बयान”
और उसको बोलना भी सिखाया
“अश शम्सु वल कमरू बिहुस्बान”
सूरज और चाँद एक ख़ास हिसाब से हैं
“वन नज्मु वश शजरू यस्जुदान”
तारे और दरख़्त ( पेड़ ) ये सब सजदे में हैं
“वस समाअ रफ़ाअहा व वदअल मीज़ान”
और आसमान को अल्लाह ने बुलंद किया और तराज़ू क़ायम किये।
“अल्ला ततगव फिल मीज़ान”
कि तुम तराज़ू में बे अतराली (कमी बेशी ) न करना
“व अक़ीमुल वज्ना बिल किस्ति वला तुख सिरुल मीज़ान”
इन्साफ के साथ तौल क़ायम क्यों और और वज़न न खाओ।
“वल अरदा वदअहा लिल अनाम”
और ज़मीन रखी मखलूब के लिए।
“फ़ीहा फाकिहतुव वन नख्लु ज़ातुल अक्माम”
उसमे मेवे और खजूर के दरख़्त दिए , जिनके खोशों पर गिलाफ़ चढ़े हुए है।
“वल हब्बु जुल अस्फि वर रैहान”
और भूसे के साथ अनाज और ख़ुशबूदार फूल होता है
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे।
“खलक़ल इन्सान मिन सल सालिन कल फख्खार”
उसने आदमी को ठीकरे जैसी खनखनाती हुई मिट्टी से पैदा फ़रमाया।
“व खलक़ल जान्ना मिम मारिजिम मिन नार”
और जिन्नात को पैदा फ़रमाया आग के शोले से
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे।
“रब्बुल मश रिकैनि व रब्बुल मगरिबैन”
वही दोनों पूरे पूरब का रब और पूरे पश्चिम का रब है
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे।
“मरजल बह रैनि यल तकियान”
उसने दो ऐसे समंदर बहाये, जो आपस में मिलते हैं
“बैनहुमा बरज़खुल ला यब गियान”
और उन दोनों के बीच एक रुकावट है कि दोनों एक दुसरे की तरफ़ बढ़ नहीं सकते
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे।
“यख रुजु मिन्हुमल लुअ लूऊ वल मरजान”
उन में से बड़े बड़े मोती और मनका हैं
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे।
“वलहुल जवारिल मून शआतु फिल बहरि कल अअ’लाम”
जो समंदर के ऊपर पहाड़ों की तरह ऊंचे जहाज़ खड़े हैं उसी के कब्ज़े में हैं।
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे।
“कुल्लू मन अलैहा फान”
और जो कुछ भी ज़मीन पर है वो सब फ़ना होने (मिटने) वाला है
“व यब्का वज्हु रब्बिका जुल जलालि वल इकराम”
और बाक़ी है तो सिर्फ तुम्हारे रब की ज़ात जो अज़मत और बुज़ुर्गी वाला है।
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे।
“यस अलुहू मन फिस समावाति वल अरज़ि कुल्ला यौमिन हुवा फ़ी शअन”
उसी के मांगता हैं जितने आसमानों और ज़मीन में हैं, उसे हर दिन एक काम है।
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे।
“सनफ रुगु लकुम अय्युहस सक़लान”
ए इंसान और जिन्नात ! अनक़रीब हम तुम्हारे हिसाबो किताब के से जल्द ही फारिग़ हो जायेंगे
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे।
“या मअशरल जिन्नि वल इन्सि इनिस त तअतुम अन तन्फुजु मिन अक तारिस सामावती वल अरज़ि फनफुजू ला तन्फुजूना इल्ला बिसुल तान”
ए इंसानों और जिन्नातों की जमात ! अगर तुम आसमान और ज़मीन के किनारों से निकल सकते हो तो निकल जाओ, तुम जहाँ निकल कर जाओगे हर जगह उसी की सल्तनत है।
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे।
“युरसलू अलैकुमा शुवाज़ुम मिन नारिव व नुहासून फला तन तसिरान”
तुम पर आग के शोले और धुवां छोड़ा जायेगा फिर तुम बदला न ले सकोगे।
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे।
“फ़इजन शक़ क़तिस समाउ फकानत वर दतन कद दिहान”
फिर जब आसमान फट पड़ेगा और गुलाब के फूल जैसा जो जायेगा, जैसे सुर्ख नरी।
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे।
“फयौम इज़िल ला युस अलु अन ज़मबिही इन्सुव वला जान”
तो उस दिन गुनेहगार से किसी गुनाह की पूछ न होगी, न किसी आदमी से और न किसी जिन से।
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे।
“युअ रफुल मुजरिमूना बिसीमाहुम फ़युअ खजु बिन नवासी वल अक़दाम”
मुजरिम अपने चेहरे से पहचाने जायेंगे, फिर वो पेशानी के बालों और पांव से पकड़ कर जहन्नम में डाले जायेंगे।
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे।
“हाज़िही जहन्नमुल लती युकज्ज़िबू बिहल मुजरिमून”
यही वो जहन्नम है जिसको मुजरिम झुटलाया करते हैं।
“यतूफूना बैनहा व बैन हमीमिन आन”
चक्कर लगाएंगे वो दोज़ख़ और खौलते हुए पानी के दरमियान।
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
“व लिमन खाफ़ा मक़ामा रब्बिही जन नतान”
और जो अपने रब के सामने खड़े होने से डरता था उसके लिए दो जन्नते हैं।
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
“ज़वाता अफ्नान”
दोनों बाग़ बहुत सी टहनियों वाले हैं।
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
“फीहिमा ऐनानि तजरियान”
और उन में दो चश्में (दरिया) बहते हैं।
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
“फीहिमा मिन कुल्लि फकिहतिन ज़वजान”
उन बाग़ों में हर मेवे दो दो किस्मों के होंगे।
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
“मुततकि ईना अला फुरुशिम बताईनुहा मिन इस्तबरक़ वजनल जन्नतैनी दान”
जन्नती लोग के लिए ऐसे बिस्तरों पर आराम से तकिया लगाये होंगे जिन के अस्तर दबीज़ रेशम के होंगे और दोनों बाग़ों के फ़ल क़रीब ही झुके हुए होंगे कि नीचे से चुन लो।
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
“फ़ी हिन्ना कासिरातुत तरफि लम यतमिस हुन्ना इन्सून क़ब्लहुम वला जान”
और उस जन्नती बिछोने पर वो औरतें हैं जो अपने शौहर के सिवा किसी और को आंख उठा के नहीं देखती।
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
“क अन्न हुन्नल याकूतु वल मरजान”
वो हूरें ऐसी होंगी जैसे वो याकूत और मोती हों
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
“हल जज़ा उल इहसानि इल्लल इहसान”
नेक अमल का बदला अहसान बेहतर अज्र के सिवा कुछ और भी हो सकता है
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
“वमिन दूनिहिमा जन नतान”
और उन के सिवा दो जन्नतें और हैं।
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
“मुद हाम मतान”
और वो दोनों जन्नतें निहायत ही गहरे सब्ज़ रंग की हैं।
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
“फीहिमा ऐनानि नज्ज़ा खतान”
और उस में दो चश्में भी हैं, चमकते हुए।
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
“फीहिमा फाकिहतुव व नख्लुव वरुम मान”
और उन में खजूरें और अनार हैं।
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
“फिहिन्ना खैरातुन हिसान”
और उन में औरतें हैं आदत की नेक, सूरत की अच्छी।
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
“हूरुम मक्सूरातुन फिल खियाम”
हूरें हैं खेमों में।
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
“लम यत मिस हुन्ना इन्सून क़ब्लहुम वला जान”
उन से पहले उन्हें हाथ न लगाया किसी इंसान ने और न किसी जिन नें।
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
“मुत तकि ईना अला रफ़रफिन खुजरिव व अब्क़रिय यिन हिसान”
तकिया लगाए हुए सब्ज़ ( जन्नती लोग ) खूबसूरत कालीनों पर टेक लगाये होंगें
“फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान”
तो ए जिन और इंसान तुम दोनों अपने रब की कौन कौन सी नेअमतों को झुटलाओगे
“तबा रकस्मु रब्बिका ज़िल जलाली वल इकराम”
बड़ी बरकत वाला है तुम्हारा रब का काम जो अज़मत और बुज़ुर्गी वाला है।
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सूरेह रेहमान पढ़ने के फायदे
- रेहमान अल्लाह के शिफ़ाति नामों में से एक नाम है।
- जो शख़्श सूरेह रेहमान यक़ीन और तवज्जो के साथ किसी मक़सद के लिए ग्यारह मर्तबा पढ़ेगा तो उस का मक़सद पूरा होगा।
- चेचक के लिए सूरेह रेहमान का अमल बहुत ही मुफीद है।
- किसी कि नींद न आती हो तो उसे चाहिय्ये कि ईशा कि नमाज़ के बाद सूरेह रेहमान पढ़े।
- सूरेह रेहमान कि रोज़ तिलावत करने से घर और कारोबार में बरक़त आती है।
- अगर शादी में रुकावट है तो सूरेह रेहमान कि तिलावत का मामूर बना लें इंशा अल्लाह अल्लाह कि तरफ से जल्द अच्छी ख़बर आएगी।
- सूरेह रेहमान पढ़ने के और भी बहुत सारे फायदे हैं।
नसीहत:- क़ुरआन को हमेशा ठहर ठहर के और सही और यक़ीन के साथ पढ़ा करें
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नॉट:- नाज़रीन ये था सूरेह रेहमान को हिंदी में पढ़ने का तरीक़ा और कुछ बातें जो क़ुरआन और हदीस से मिलती हैं।
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सवाल जवाब
सूरेह रेहमान कहाँ नाज़िल हूई
मदीना में
सूरेह रेहमान कुरान के कौन से पारे में हे
27वी
सूरेह रेहमान कुरान की कौन सी सूरह हे’
55वे
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