6 कलमें और उन का मतलब | 6 Kalme in Hindi

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अस्सलामु अलैकुम नाज़रीन आज हम कलमें और उन का मतलब हिंदी में जानेंगे

पहला कलमा तय्यब, तय्यब माने पाक।

“ला इलाहा इलल्लाहु मुहम्मदुर्रसूलुल्लाहि”

तर्जुमा :- नहीं कोई माबूद सिवाय अल्लाह के, हज़रात मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह के रसूल हैं।

दूसरा कलमा शहादत, शहादत माने गवाही देना।

“अशहदु अल्लाह इल्लाह इल्लल्लाहु वह दहु ला शरी-क लहू व अशदुहु अन्न मुहम्मदन अब्दुहु व रसूलुहु ”

तर्जुमा :-  मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं, और मैं गवाही देता हूँ कि मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह के बन्दे और रसूल हैं।

तीसरा कलमा तम्जीद, तम्जीद माने बुज़ुर्गी

“सुब्हानल्लाही वल हम्दु लिल्लाहि वला इलाहा इलल्लाहु वल्लाहु अकबर वला हौल वला कुव्वता इल्ला बिल्लाहिल अलिय्यील अज़ीम ”

तर्जुमा :- अल्लाह पाक है, और हर क़िस्म की तारीफें अल्लाह ही के लिए हैं, और अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं। और अल्लाह सब से बड़ा है, गुनाहों से बचने की क़ुव्वत और नेक काम करने की ताक़त अल्लाह ही की तरफ़ से है, जो बहुत मेहरबान निहायत रेहम करने वाला है।

चौथा कलमा तौहीद, तौहीद माने जिस के साथ कोई शरीक न हो।

“ला इलाह इल्लल्लाहु वह्दहु ला शरीक लहू लहुल मुल्कू व लहुल हम्दु युहयी व युमीतु वहुवा हय्युल ला यमूतु अबदन अबदा ज़ूल जलालि वल इकराम बियदिहि-हिल खैर वहुवा अला कुल्ली शैइन क़दीर ”

तर्जुमा :- नहीं कोई माबूद अल्लाह के सिवा, अल्लाह एक है, उसका कोई शरीक नहीं है, सब कुछ उसी का है और उसी के लिए हर क़िस्म की तारीफें हैं, वही ज़िंदा करता है, वही मारता है और अल्लाह हमेशा ज़िंदा रहेगा, उस को कभी मौत नहीं आएगी, उसी के हाथो में है हर क़िस्म की नेकी और वो हर चीज़ पर क़ादिर है।

पांचवा कलमा अस्तग़फ़ार, अस्तग़फ़ार माने माफ़ करना।

“अस्तग़फिरुल्लाहा रब्बी मिन कुल्ली ज़म्बिन अज्नब्तुहू अमदन अव खता अन सिर्रन अव अलानियतन व अतूबू इलैह मिनज़ ज़म्बिल लज़ी आलमु व मिनज़ ज़म्बिल लज़ी ला आलमु इन्नका अंता अल्लामुल गूयूबी व सत्तारिल उयूबी व गफ्फारिज़ ज़ुनूबी वला हौला वला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाहिल अलिय्यिल अज़ीम | ”

तर्जुमा :-  मैं अपने परवरदिगार (अल्लाह) से अपने तमाम गुनाहो की माफ़ी मांगता हूँ, जो मैंने जान-बूझकर किये या भूल-चूक मे किये, छिप कर किये या खुल्लम-खुल्ला किये और तौबा करता हूँ मैं उस गुनाह से, जो मैं जनता हूँ और उस गुनाह से भी जो मैं नहीं जानता, या अल्लाह बेशक़ तू गैब कि बाते जानने वाला है और ऐबों को छिपाने वाला है और गुनाहो को बख़्शने वाला है (हम में) गुनाहों से बचने और नेकी करने की ताक़त नहीं अल्लाह के बग़ैर, जो के बहुत बुलंदी वाला है।

छठा कलमा रद्दे कुफ्र, रद्दे कुफ्र माने कुफ्र (ख़ुदा को न माना) से बाज़ आ जाओ।

“अल्लाहुम्मा इन्नी ऊज़ुबिका मिन अन उशरिका बिका शय अव व अना आलमु बिही व अस्तग़फ़िरका लिमा ला आलमु बिही तुब्तु अन्हु व तबर्रअतू मिनल कुफरी वश शिरकी वल किज्बी वल गीबती वल बिदअति वन नमीमति वल फवाहिशी वल बुहतानी वल मआसी कुल्लिहा व अस्लमतु व अकूलू ला इलाहा इल्ललाहू मुहम्मदुर रसूलुल लाह |”

तर्जुमा :- ऐ अल्लाह में तेरी पन्हा चाहता हूँ इस बात से कि मैं आप के साथ किसी शेय को शरीक बनाऊँ जान बूझ कर, और बख़्शिश तलब करता हूँ तुझ से इस (शिर्क) की जिसको मैं नहीं जानता तौबा की मैनें इस गुनाह से और बेज़ार हुआ कुफ्र से और शिर्क से और झूट से और ग़ीबत से और बिदअत से और चुगली से और बेहयाओं से और बोहतान से और तमाम गुनाहो से और मैं इस्लाम लाया और ईमान लाया और कहता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं और हज़रत मुहम्मद सलल्लाहो अलैहि वसल्लम अल्लाह के रसूल है।

कलमें पढ़ने के फायदे

  • जो शख्स भी सच्चे दिल से अल्लाह का कलमा पढ़ता हो और इसी कलमे को पढ़ते हुए उसकी मौत आ जाए तो वो सीधा जन्नत मे दाख़िल होता है। 
  • कलमे को पढ़ने से आप अल्लाह के अलावा दुसरे किसी की इबादत ना करने की गवाही देते हो, जिससे आपके अन्दर अल्लाह का डर पैदा होता है और आप अल्लाह के हुक़ुमो को मानने वाले बन जाते हो।
  • सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया जिसने भी कलमे को सच्चे दिल से पढ़ा होगा तो क़यामत के रोज उसे मेरी शिफ़ात नसीब होगी।
  • कलमे को हमेशा पढ़ने से घर मैं बरकत और काम मैं भी कामयाबी हासिल होती है।
  • कलमे को हमेशा सही तरीक़े से पढ़ा तो जिस्म कई बीमारियो से मेहफ़ूज़ रहता है।
  • कलमे को रोजाना पढ़ने से इंसान अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त के क़रीब हो जाता है।  

हदीस :- आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाया जो शख़्श अल्लाह के अलावा किसी और को पुकारते हुए मर गया वह जहन्नुम में दाखिल होगा।

सहीह अल-बुखारी 4497

नॉट :- नाज़रीन ये था कलमें पढ़ने का सही तरीक़ा और कुछ ज़रूरी बातें जो क़ुरआन और हदीस से साबित होती हैं। अगर आप का दीन और दुनिया से जुड़ा कोई सवाल है, या फिर आप हमें कुछ नसीहत करना चाहते हैं। हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएं।

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जज़ाक़ अल्लाह।

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