दुआए कुनूत हिंदी में |Dua Qunoot in Hindi

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अस्सलामु अलैकुम नाज़रीन आज हम दुआए क़ुनूत को सही पढ़ने तरीक़ा और उन का मतलब हिंदी में जानेंगे

dua qunoot in hindi with tarjuma

दुआए कुनुत हिंदी में

अल्लाहुम्मा इन्ना नस्तईनु क व नस-तग़-फिरू- क व नु’अ मिनु बि-क व न तवक्कलु अलै-क व नुस्नी अलैकल खैर * व नश कुरु-क वला नकफुरु-क व नख्लऊ व नतरुकु मैंय्यफ-जुरूक * अल्लाहुम्मा इय्या का न अ बुदु व ल-क- नुसल्ली व नस्जुदु व इलै-क नस्आ व नह-फिदु व नरजू रह-म-त-क व नख्शा अज़ा-ब-क इन्ना अज़ा-ब-क बिल क़ुफ़्फ़ारि मुलहिक़ *

दुआ ए कुनूत का तर्जुमा

  • या अल्लाह हम तुझसे मदद मांगते है
  • और मगफिरत तलब करते है
  • और तेरे उपर इमान लाते है
  • और तेरे उपर भरोसा रखते हैं
  • और तेरी बेहतर तारीफ करते हैं
  • और तेरा शुक्र अदा करते हैं
  • और तेरी ना–शुक्री नहीं करते हैं
  • और छोड़ देते है ऐसे सक्स को जो तेरी नाफरमानी करे
  • या अल्लाह हम तेरी ही इबादत करते हैं
  • और खास तेरे ही लिए नमाज पढ़ते हैं
  • और सजदह करते हैं और तेरे ही जानिब दौड़ते हैं और झपटते हैं और तेरी ही रेहमत की उम्मीद रखते हैं और तेरे आजाब से डरते हैं
  • तेरा अजाब काफिरों को पहुंचने वाला है !

दुआए कुनूत कब पढ़ते हैं.

दुआए कुनुत ईशा की नमाज की वित्र में तिसरी रेकात में सुरह फातियाः के बाद तकबीर कह कर पढ़ते हैं ! (तीसरी रकअत में रुकू में जाने से पहले खड़े होकर दुआए क़ुनूत पढ़ी जाती है )

क्यों ज़रूरी है याद करना दुआए क़ुनूत ?

अल्लाह नें दुआए क़ुनूत वित्र की नमाज़ में वाजिब करार दिया है। इसलिए दुआए क़ुनूत याद करना हर मुसलमान को ज़रूरी है।

अगर दुआए क़ुनूत याद न हो तो क्या पढ़ना चाहिए ?

अगर किसी शख़्श को दुआए क़ुनूत याद नही हो तो उसे चाहिए की वो हल्द जल्द से दुआए क़ुनूत याद करने की कोशिश करे। और जब तक याद न हो जाए तब तक दुआए क़ुनूत की जगह ये दुआ पढ़ना सकते हैं।


“रब्बना आतिना फिद दुनिया हसनतव वफिल आखिरति हसनतव वकिना अज़ाबन नार”


तर्जुमा: ऐ हमारे रब्ब हमें दुनिया में नेकी और आख़िरत में भी नेकी दे और हमें दोज़ख ले अज़ाब से बचा।

अगर नमाज़ में दुआए क़ुनूत पड़ना भूल जाये तो क्या नमाज़ होगी?

अगर कोई शक्श वित्र की तीसरी रकअत में दुआए क़ुनूत पढ़ना भूल जाये तो आपको सजद-ए-सहव करना पड़ेगा।

सजद-ए-सहव कैसे करें।

वित्र की तीसरी रकअत में दुआए क़ुनूत पढ़ना भूल गए तब तीसरी रकअत में बैठकर अत्ताहिय्यात पढ़े।
एक सलाम फेरें और दूसरा सलाम फेरते से पहले एक बार फिर से दो सजदे करें (सजदों में सजदों की तस्बीह पढ़ी जाएगी ) और फिर अत्ताहिय्यात दुआए मस्कुरा और दुरूदे इब्राहिम पढ़कर सलाम फेरें।

नॉट :- नाज़रीन ये था दुआए क़ुनूत पढ़ने का सही तरीक़ा और कुछ ज़रूरी बातें जो क़ुरआन और हदीस से साबित होती हैं। अगर आप का दीन और दुनिया से जुड़ा कोई सवाल है, या फिर आप हमें कुछ नसीहत करना चाहते हैं। हमें कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएं।


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जज़ाक़ अल्लाह।

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