अस्सलाम अलैकुम दोस्तों इस पोस्ट में हमने तरावीह की दुआ और तरावीह की नमाज़ के बारे हिंदी में बताया है।
बिस्मिल्लाह ए रहमान ए रहीम
सुब्हा-नल मलिकिल क़ुद्दूस * सुब्हा-न ज़िल मुल्कि वल म-ल कूत * सुब्हा-न ज़िल इज्जती वल अ-ज़-मति वल-हैबति वल क़ुदरति वल-किब्रियाइ वल-ज-ब-रुत * सुब्हा-नल मलिकिल हैय्यिल्लज़ी ला यनामु व ला यमूत * सुब्बुहुन कुद्दूसुन रब्बुना व रब्बुल मलाइकति वर्रूह * अल्लाहुम्मा अजिरना मिनन्नारि * या मुजीरु या मुजीरु या मुजीर *
तरावीह की दुआ का तर्जुमा हिंदी में
बिस्मिल्लाह ए रहमान ए रहीम
पाक है वो अल्लाह जो मुल्क और बादशाहत वाला है,
पाक है वो अल्लाह जो बड़ा नेक और इज़्ज़तो अजमत वाला है और कुदरत वाला है,
और बड़ाई वाला और पाक है वो अल्लाह जो बादशाह है जिन्दा रहने वाला न उसके लिए नींद और नाही मौत है,
वो बे इन्तेहा पाक और मुक़द्दस है हमारा परवरदिगार फरिस्तों और रूह का परवरदिगार है,
ए अल्लाह जहन्नम की आग से हमें बचाना ऐ बचाने वाले तू पुरे जहान का रहीमो करीम है।
तरावीह की नमाज़ किस वक़्त पढ़ी जाती है ?
तरावीह की नमाज़ का वक़्त रात में ईशा की नमाज़ अदा करने के बाद से लेकर सुबह फजर की नमाज़ पढ़ने से पहले तक होता है।
इसका मतलब आप ईशा की अज़ान होने के बाद से लेकर फज्र की अज़ान होने से पहले तक कभी भी तरावीह की नमाज़ पढ़ सकते हैं।
तरावीह की नमाज़ में कितनी रकात होती है ?
तरावीह की नमाज़ में 20 रकात होती है, जो की ईशा की नमाज़ के बाद पढ़ी जाती है और दो-दो रकात करके पढ़ी जाती है।
मर्दो का तरावीह की नमाज़ पड़ने का तरीक़ा।
ईशा के वक़्त इस तरह से नमाज़ अदा करेंगे -:
- ईशा की 4 रकात सुन्नत
- ईशा की 4 रकात फ़र्ज़
- ईशा की 2 रकात सुन्नत
- ईशा की 2 रकात नफ़्ल
- तरावीह की सुन्नते मुवककेदा 20 रकात (दो-दो ) हर 4 रकात के बाद तरावीह की तस्बीह
- वित्र वाजिब 3 रकात (2 तदबीरों के )
- ईशा की नफ़्ल 2 रकात
तरावीह की नमाज़ सुन्नते मुवक़्क़ेदा है। अल्लाह के प्यारे नबी ने कभी-कभी यह नमाज़ जमाअत के साथ अदा फरमाइ ! और कभी-कभी अकेले घर में पढ़ी।
दो-दो रकात की नियत से 20 रकात नमाज़ मर्द जमाअत के साथ मस्जिद में अदा करते हैं। और बहने ( औरतें ) घर पर अदा करती है।
तरावीह की नियत
“नियत की मैंने दो रकात नमाज़ सुन्नत तरावीह, अल्लाह तआला के वास्ते, वक्त इशा का, पीछे माम के मुहं मेरा कअबा शरीफ़ की तरफ़ अल्लाहु अकबर” कह कर हाथ बाँध लेना है फिर सना पढ़ना है।
अब हर रकअत में इमाम साहब क़ुरान शरीफ़ की सूरह पढ़ेगें उन सूरह को ध्यान लगाकर सुनना है।
रुकू सजदा और बाकि सभी नमाज़ के अरकान वही रहेंगे जो दूसरी नमाज़ो में रहते है।
नोट – 1. मर्द अगर तराबीह की नमाज़ घर पर अकेले पढ़ रहे हो तो पीछे इमाम के नहीं बोलेंगे ।
तराबीह की नमाज़ की नियत (अकेले में )
नियत की मैंने दो रकात नमाज़ सुन्नत तरावीह, अल्लाह तआला के वास्ते, वक्त इशा का, मुहं मेरा कअबा शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु अकबर कह कर हाथ बाँध लेना है ।
औरतों की तरावीह की नमाज़ का तरीक़ा
औरतों को भी तरावीह की नमाज़ पढ़ना चाहिए।
जिस तरह तरावीह की नमाज़ आदमियों के लिए सुन्नते मुवक़्क़ेदा है, उसी तरह तरावीह की नमाज़ औरतों के लिए भी सुन्नते मुवक़्क़ेदा है।
जो औरतें तरावीह की नमाज़ नहीं पढ़ेगी वह गुनहगार होंगी।
तरावीह की दुआ कब पढ़ते है?
तरावीह की नमाज़ के 4 रकअत हो जाने के बाद सलाम फेरने पर पढ़ी जाती है।
तरावीह में कितने रकअत नमाज़ होती है ?
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अगर आपको तरावीह की दुआ और नमाज़ से जुड़े हुए कोई भी सवाल है तो आप नीचे कमेंट करके पूछ सकते हो हम उसका जवाब ज़रूर देंगे।