उमराह क्या है और करने का तरीका

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 उमराह क्या है और करने का तरीका

उमराह क्या है 

उमराह का  मतलब है ज़ियारत के हैं, और अहराम बाँध कर सफा और मरवा की सई को उमराह कहते है। 

उमराह को हज-असगर भी कहते है, अगर उमराह करने में कोई शख्स कादिर है तो पूरी उम्र में एक बार उमराह करना सुन्नते-मुकदा है। 

उमराह की फ़ज़ीलत 

उमराह की फ़ज़ीलत बहुत सारी हदीसों में बताई गयी है-:

हज और उमराह एक साथ करो कियोंकि वो दोनों तंगदस्ती और गुनाहों को ऐसे दूर कर देते हैं जैसे की भट्टी लोहे और सोने, चाँदी के मेल को दूर कर देती है। 

इस हदीस से मालूम हुआ की हज और उमराह से ना सिर्फ गुनाह माफ़ होते है बल्कि इंसान का हज और उमराह की  वजह से फ़िक्र वा फाका भी दूर हो जाता है। 

रमज़ान में उमराह का सवाब एक हज के बराबर है, और एक रवायत में है कि इस हज के बराबर हे जो मेरे साथ किया हो इस लिए हाजी को चाहिए की मक्का में रहते हुए अपने मरहमीन की तरफ से खूब उमराह करे।

उमराह करने का तरीका 

मेकाअत से उमराह की नियत से अहराम बाँध क्र मस्जिद हराम में बतुलसालाम या बैतूल उमराह से दाखिल हो। 

और हजरे-असवत का बोसा दे, इस के बाद तवाफ़ करें (सात फेरे लगाये) पहले तीन चक्करों में तन कर, और अहराम की चादर को दाई मुंढ़ें के नीचे से निकाल कर बाय मुंढे पर डालकर तवाफ़ करे। 

तवाफ़ के बाद मुक़ामे-इब्राहिम पर दो रकात नमाज़ पढ़ क्र हज्रे असवद को बोसा दे कर बाबे अलसफा से निकल जायें और सफा मारवाह की सई करे। 

सई के बाद सर के बाल कटवा कर हलाल हो जायें।

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उमराह के फ़र्ज़ 

उमराह में दो फ़र्ज़ है -:

  • अहराम बाँधना 
  • तवाफ़ करना 

उमराह की सुन्नते 

उमराह में दो सुन्नते है -:

  • सफा मरवा के दरमिआन सई करना 
  • सर के बल मुंडवाना या कटवाना 

यह था उमराह करने का तरीका अगर आपका उमराह के बारे में कोई भी सवाल है तो आप नीचे कमेंट करके पूछ सकते हो।  

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